उपन्यास >> ऑपरेशन महिषासुर ऑपरेशन महिषासुरराकेश कुमार सिंह
|
5 पाठक हैं |
ऑपरेशन महिषासुर — शोषण के विरुद्ध संगठित होता जंगल।
राकेश कुमार सिंह का यह ताज़ा उपन्यास ‘ऑपरेशन महिषासुर’ दो दुनियाओं की दो भिन्न अवधारणाओं के संघर्ष की कहानी है।
विश्व में अलग-अलग भू-खंडों पर अलग-अलग नामों से अनेक युद्ध लड़े गये हैं… लड़े जा रहे हैं। लक्ष्य…? प्राकृतिक संसाधनों पर प्रभुत्व! आर्थिक लिप्सा की दुनिया और बेहतर कल हेतु बेहतर प्रकृति की दुनिया के बीच जारी इसी ‘टंग ऑफ़ वार’ की दास्तान है यह उपन्यास।
त्रुटिपूर्ण सरकारी नीतियाँ, असमानुपातिक आर्थिक विकास, शासन सत्ता का पूँजी उन्मुख चिन्तन और औद्योगिक घरानों एवं बहुराष्ट्रीय निगमों के पूँजीवादी अभियानों ने विकास के नाम पर जल-जंगल-ज़मीन पर कब्ज़े की अन्धी अमानवीय लूट की अनिवार्य परिणति तय कर दी है: वनोन्मूलन, जनजाति उन्मूलन, प्रतिरोध उन्मूलन और अन्ततः चिर विस्थापन जिसने सदियों से शोषित-वंचित-दमित-उपेक्षित जनजातीय समुदाय को ऐसी कगार तक धकेल दिया है जहाँ मात्र दो विकल्प हैं… प्रतिरोध या सर्वनाश !
प्रस्तुत उपन्यास समानता और विषमता, न्याय और अन्याय, भारत और इंडिया के बीच चल रही रस्साकशी की कहानी है। यह नयी आर्थिक नीति के विनाशवादी अभियान और बेलगाम पूँजी के दमनचक्र के विरुद्ध संगठित होते बनैले खलनायकों की कथा है।
|